Saturday, February 11, 2012

साई पूजना सचमुच भक्ति या अन्धविश्वास की पराकाष्ठा??????

यह पोस्ट केवल कट्टर हिन्दुत्व का दम्भ भरने वाले उन लोगों से एक प्रश्न हैं जो साई को पूजते हैं और खुद को कट्टर हिन्दुवादी भी कहलाना पसन्द करते हैं. कृप्या वही लोग इस पोस्ट का हिस्सा बनें.

सबसे पहले कट्टरवाद तो वही है जो सिर्फ़ अपने ईश्वर, धर्म और संस्कारों में विश्वास रखे. जैसे कि मुस्लिम.

मुस्लिम सम्प्रदाय को हमारे हिन्दु भगवा वस्त्रों, तिलक, मंदिरों की घंटियों, पूजा ध्वनियों इत्यादि सभी चीजों से नफ़रत है. ऐसी कोई हिन्दु वस्तु नही जिसे वे सम्मान की दृष्टि से देखें.

और हम हिन्दु सुबह उठते ही एक ऐसे बाबा को पूजते हैं जो केवल मुल्ला वस्त्र ही धारण करता था. जो हमेशा मुल्ला टोपी धारण करता था. कुल मिलाकर उसके आचरण या पहनावे में कुछ भी हिन्दु था. तो हम कट्टर हिन्दुवादी कैसे हो सकते हैं?????

क्या हमारे हिन्दु धर्म के किसी एक संत का नाम मेरे कट्टर हिन्दु मित्र बता सकते हैं जिसे मुसलमानों ने स्वीकार किया हो????

साई जिसका सबसे बड़ा संदेश यही था - "सबका मालिक एक" लेकिन कौन आज तक नही पता चला. मेरे अनुसार उनका इशारा अल्लाह की तरफ़ होगा क्योकि उनका पहनावा-आचरण व्यवहार सब मुस्लिम ही था और वह रहते भी मस्जिद में ही थे तो अनुमान यही कहता है.

अब उनके संदेश को दूसरे तरीके से समझने की कोशिश करते हैं. - "सबका मालिक एक" मतलब हिन्दु, मुस्लिम, क्रिश्चिन इत्यादि सभी धर्मों के मालिक एक ही है तो ये धर्म के बीच लड़ाई क्यों????? सभी लोग भाई-बधुत्व के साथ प्यार से रहो. सभी धर्मो को पूजो. क्योंकि आपके साई के अनुसार सभी धर्मो का मालिक एक है. यदि अब भी आपकी कट्टरता सभी धर्मो को मानने को नही कहती तो आप साई का अनुसरण नही कर रहे. तो क्यों मानते हैं साई को???????

कोई उन्हें कृष्ण का अवतार मानता है, कोई राम का तो कोई शिव का. मतलब वो हिन्दु भगवान के अवतार थे. तो मस्जिद में क्या करते थे? मन्दिर में क्या परेशानी थी उन्हें? मतलब साफ़ है कि वो भी सेकूलर थे. (लेकिन मेरा मानना है कि वो सिर्फ़ मुस्लिम धर्म ही मानते थे) सभी धर्मो को मानते थे. तो आप क्यों हिन्दुत्व का ड़ंका पीटते हैं? उनके आदर्शो पर क्यों नही चलते???? बन जाईये सेकूलर जैसा की आपके साई ने सिखाया है- "सबका मालिक एक" और अगर आपका भी मानना है कि सबका मालिक एक तो आप कट्टर धार्मिक नही है.

हमारे किसी भी हिन्दु देवी-देवता ने जब भी इस पृथ्वी पर अवतार लिया लोगों को पाप और आतंक से मुक्ति दिलाई. बिना पाप का सर्वनाश किये पृथ्वी नही छोड़ी. जब पृथ्वी चारों ओर से सुरक्षित हो गई तब उन्होंने अपने धाम को प्रस्थान किया. साई ने जब पृथ्वी पर जन्म लिया तो पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था. भारत माता गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी थी. हजारो गोमातायें रोज कटती रही. ये बचाना तो दूर उनके खिलाफ़ कभी एक शब्द तक नही बोला. आखिर क्यों ????

जबकि हमारे जितने भी हिन्दु संत सन्यासी हुये सभी ने कुरीतियों के खिलाफ़ आवाज उठाई. उसे समाप्त करने के लिये अपने सुखों की भी परवाह नही की. देश और समाज के लिये जीये और देश और समाज के लिये ही प्राण त्याग दिये. साई ने समाज से कौन सी कुरीति को दूर किया. क्या किया देश और समाज के लिये?????? आखिर क्यों देश को गुलामी के हालत में छोड़ गये?????

अब यदि आप कट्टर हिन्दुवादी हैं तो हिन्दु धर्म ग्रंथो को भी पूजते व मानते होंगे? स्कन्द पुराण के षष्ठम् अध्याय में स्पष्ट लिखा है कि कलयुग को समाप्त करने के लिये भगवान श्रीविष्णु अपना 10वां व आखिरी ''कल्कि अवतार'' लेंगे. लेकिन किसी भी हिन्दु धार्मिक ग्रंथ में साई का जिक्र नही है???? (अगर है तो कृप्या एक प्रति मुझे भी उपलब्ध कराने की कृपा करें ) ग्रंथ लिखने वाले ऋषि मुनि यदि साई के बाद के घटनाक्रमों का उल्लेख पुराणों में कर सकते थे तो साई का क्यों नही???? मतलब साफ़ है कि साई का अवतारवाद से कोई वास्ता नही था और ना ही वह कोई संत था. संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये, संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे. इस साई नाम के मुस्लिम फकीर ने जीवन में कभी भी हमारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया और हम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो. कितनी विचित्र मानसिकता है हम हिन्दुओं की. मेरे अनुसार तो यह एक भयानक मूर्खता है. इससे पता चलता है कि महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता..... जय श्रीराम.......


7 comments:

  1. जब हिन्दुओं के ३३ करोड़ देवी देवता भी मिलकर किसी की इच्छा पूर्ति करने में असमर्थ हैं तो, उसकी इच्छा पूर्ती एक मुस्लिम फकीर की लाश कर देगी... इससे बड़ी हास्यास्पद बात और कुछ हो नहीं सकती है...!

    ब्लोगर ने अंधविश्वासियों पर बिल्कुल उचित एवं सटीक प्रहार किया है ..!

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  2. भाई 33 करोड़ 33 करोड़ क्यू कर रहे हो ! 33 कोटि है । अर्थात 33 प्रकार !

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  3. भारत जी जहाँ तक मेरा ज्ञान था मुझे यही पता था कि हम 33 करोड़ देवी देवता पूजते हैं. लेकिन आपकी बात विचारणीय है. मैं कोशिश कर रही हूँ इस दिशा में अपना ज्ञान बढ़ाने का. तभी मैं इस विषय पर कुछ कह सकुंगी.
    धन्यवाद भारत जी.......

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  4. आप सही हैं भारत जी. वेदों का तात्पर्य 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है. जो इस प्रकार हैं
    कुल 33 प्रकार के देवता हैं :
    12 आदित्य है: धाता , मित् , अर्यमा , शक्र , वरुण , अंश , भग , विवस्वान , पूषा , सविता , त्वष्टा, एवं विष्णु |
    8 वसु हैं: धर , ध्रुव ,सोम , अह , अनिल , अनल , प्रत्युष एवं प्रभाष
    11 रूद्र हैं: हर , बहुरूप, त्र्यम्बक , अपराजिता , वृषाकपि , शम्भू , कपर्दी , रेवत , म्रग्व्यध, शर्व तथा कपाली |
    2 अश्विनी कुमार हैं |कुल : 12 +8 +11 +2 =33
    आपकी वजह से मुझे यह जानकारी मिली. धन्यवाद

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  5. धन्धे बाजों द्वारा ‘साई’ के साथ ॐ, श्री, राम आदि जोड़ा जाना बन्द होना चाहिए। साथ ही हिन्दू देवताओं के चित्रों के साथ साई के चित्र का उपयोग भी बन्द होना चाहिए।
    http://sahyatra.blogspot.in/search/label/sai

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